My Kisan Dost
My Kisan Dost Banner
Menu
  • Home
  • Agri News
  • Agriculture Technology
    • Farming Technology
    • Farming Machinery
    • Jugaad Technology
  • Crops Information
    • Vegetable Farming
    • Fruits Farming
    • Medicinal Farming
    • Other Crops
  • Crops Protection
    • Organic Method
    • Chemical Method
  • pashu palan
  • Home Gardening
  • Tractors Info
  • Contact Us
Menu

Pashu Rog ki Jaankari पशु रोगों की पहचान Part 2

Posted on January 14, 2017January 30, 2021 by Yash Jat

नमस्कार दोस्तों पिछली पोस्ट पशुओं में होने वाले रोगों की पहचान कैसे करे भाग 1 में हमने 14 प्रकार के रोगों के बारे में जाना था। यदि आपने वो पोस्ट नही पढ़ पाए तो यहाँ क्लिक कर के पढ़ ले। Pashu Rog ki jaankari.

पशुओं में होने वाले रोगों की पहचान भाग 1 
pashu rog pahchan part 2
पशु रोग के बारे में

आज की इस पोस्ट में हम बाकी पशु रोगों के बारे में जानेंगे।दोस्तों पशुओं में कई सारे रोग होते है यहाँ में कोशिश करुँगा की ज्यादा ज्यादा रोगों के बारे में बताऊ फिर भी बहुत सारे रोग छूट जायेंगे। जो छूट जायेंगे उनके बारे में next time बताएँगे तो चलिए सीधे मुद्दे की बात करते है।

Table of Contents

Pashu Rog ki Jaankari पशुओं मे लगने वाले रोगों की जानकारी

1 सर्रा रोग ⇒

दोस्तों यह रोग ट्रिपैनोसोमा -एवेनसाई  नामक परजीवी कीटाणु के कारण फैलता है। यह बीमारी मेरुदंड वाले पशु जैसे घोड़े,गधे ,ऊँट एवं खच्चरों में अधिक लगता है। यह रोग वर्षा ऋतु के बाद अधिक फैलता है। जो की मक्खियों द्वारा इसे फैलाया जाता है। इस रोग से पशु में बुखार आता है। पशु के खून में कमी आ जाती है पशु सुस्त रहता है। उसका वजन कम हो जाता है कोई कोई पशु चक्कर भी काटने लगते है। पशु की नज़र कमजोर हो जाती है। पशु दाँत पीसने लगता है बार बार मल मूत्र त्याग करता है। गाय भैंसों  में इस रोग का आसानी से पता नही चल पाता है। क्यों की बाहरी लक्षण इतने स्पष्ट रूप से नही दीखते है।

2 पशु  मुहँ के छाले एवं घाव ⇒

 पशु के पेट में ख़राबी होने से उनके मुहँ में घाव और छाले हो जाते है। जिससे पशु के खाने पीने में दिक्कत होती है। वो दिन प्रतिदिन दुबला होता जाता है !यह रोग बढ़ने पर मुहँ के छाले पेट और आंतों में फेल जाते है। और पशु की मृत्यु हो जाती है। इसके लक्षण कभी कभी पशु को ज्वर आ जाता है। मुहँ से जाग निकलते है जीभ सूज जाती है। पशु की जीभ तालू होठ आदि लाल हो जाते है पशु खाना पीना छोड़ देता है।

3 अफ़रा रोग ⇨

यह रोग पशु के अधिक खाने से होता है जिसमे पशु का पेट फूल जाता है इस रोग के बारे में मैने पूरी जानकारी विस्तार से लिखी है। जिसमे रोग के लक्षण और बचाव के साथ साथ घरेलू उपचार एवं दवाइयों के बारे में लिखा है। आप इस लिंक को खोल कर जानकारी पढ़े ⇒⇒⇒ पशु में अफरा रोग होने पर क्या करे 

4 पशु में दस्त ⇨

पशु में दस्त लगने का मुख्य कारण अपच यानि पाचन क्रिया ढंग से नही होने से होती है। क्यों की कई बार पशु सडा गला दूषित भोजन और गन्दा पानी पी लेता है। और जुगाली करने के लिए पर्याप्त समय नही मिल पाने से और चारा खाते ही तुरंत काम पर लग जाने से ये रोग हो जाता है। इस रोग के कारण पशु पतला पतला गोबर करने लगता है बिना पची हुई वस्तु गोबर में निकालने लगता है। उसकी भूख कम हो जाती और प्यास बढ़ जाती है उसकी त्वचा सूख ने लगती है ये सब लक्षण पशु में दिखने लगते है।

5 कण्ठ अवरोध ⇒

जब पशु कोई ऐसी कड़ी वस्तु जैसे गाजर मूली गुठली या कोई फल को बिना चबाये निगल जाता है। तो वह भोजन की नली यानि गले में जा कर अटक जाता है। पशु बार बार उसे निगलने की कोशिस करता है। बार बार खासता है मुँह से लार निकलता है। ऐसी अवस्था में पशु काफी ज्यादा बेचैन हो जाता है। यदि उसके गले में वो वस्तु ज्यादा देर तक रहती है। तो पशु को अफ़रा हो जाता है। और पशु मर जाता है इसका एक ही उपाय है तत्काल अटकी हुई वस्तु को किसी भी उपाय से निकलवा दे या फिर पशु सर्जन से आपरेशन करवाये

6 पशु जुगाली न करना ⇒

पशु को चारा खिला कर सीधे काम पर लगा देना ख़राब भोजन या चारा पशु को खिला देना जुगाली के लिए पर्याप्त समय ना  देना पशु में बदहजमी  आदि कारणों से पशु में यह रोग हो जाता है।

7 उदरशूल ⇨

80 प्रतिशत पशु रोग पशु के खान पान से संबंधित होते है। जब पशु कड़ी सुखी घास या टहनी आदि खा लेते है। और खाने के बाद या तो पानी नही पीते है। या काम पानी पीने से उदरशूल हो जाता है। इससे पशु के पेट में ज़ोरदार दर्द होता है पशु बार बार अपने पैर पटकता है दाँत पिसता है। पशु बे चैन रहता है बहुत काम और बदबूदार गोबर करता है।

8 पशु में कब्ज ⇨

पशु अधिक मात्रा में सूखा चारा और भूसा खा लेने और कम पानी पीने से एवं  बदहजमी हो जाने पर पशु में कब्ज की शिकायत हो जाती है। जिसमे पशु सूखा कड़ा सख़्त गोबर करता है और कभी कभी गोबर भी नही कर पाता है। गोबर में कभी खून के छींटे या माँस की मात्रा भी आने लगती है।

9 खांसी ⇒

मौसम में परिवर्तन और बारिश में पशु का लगातार भीगना और फेफड़ों पर धूल का जम जाना एवं अपच के कारण पशु में खांसी हो जाती है। जिसमे पशु बार बार खांसी का ठसका उठता है। उसके उसके गले से खर्र खरर  की आवाज़ निकलती है और कफ जम जाता है। ज्यादा समय तक खांसी रहने से पशु में निमोनिया और दमा जैसे रोग लग जाते है।

10 निमोनिया एवं दमा ⇒

मौसम के परिवर्तन और बरसात में बार बार भीगने और अधिक ठंडा पानी पीने से पशु में निमोनिया हो जाता है। जिसमे बुखार के साथ शरीर कांपने लगता है। पशु बेचैन रहता है उसे सास लेने में दिक्कत आती है। वह अपने नथुनों को बार बार फूलता है। और चलने और बैठने में पशु को परेशानी आती है उसकी आँखो का रंग लाल हो जाता है।
दमा  दमे में पशु जल्दी जल्दी ख़स्ता है और बहुत ही ज़ोर कर के पशु को खाँसना पड़ता है। जिससे उसके पेट ओर खोख पर दबाव बढ़ता है और दर्द होता है खांसी के साथ बलगम भी आने लगता है। यह रोग बदहजमी लम्बे समय तक खांसी रहने और ज्यादा मेहनत करने से होता है।

11 पशु के पेशाब में खून आना ⇒

पशु के पेशाब में खून कही कारणों से आ सकते है। जैसे अधिक धूप में रहने या काम करने से किसी तरह की ज़हरीली घास या पेड़ पोधों के पत्ते खा लेने से या फिर पथरी हो जाने पेशाब  की नली में घाव हो जाने से किसी अन्य पशु के द्वारा उस पशु को सींगों से कमर गुर्दो पर चोट पहुँचाने  से पशु में मूत्र के साथ खून आने लगता है और तेज़ बुखार भी पशु में आ जाता है।

12 पशुओं में पीलिया ⇨

यह रोग पशु में जिगर की ख़राबी के कारण होता है। जिसमे आँखों की झिल्लियों का रंग पीला पड़ जाता है ।पशु पिले रंग का पेशाब करने लगता है। इसमें पशु की की भूख मर जाती है। और प्यास बढ़ जाती है। पशु कमजोर होने लगता है और पशु के शरीर का तापमान घटता बढ़ता रहता है।

13  मर्गी ⇒

यह रोग खास कर के पशुओं के बच्चों में होता है। इसका मुख्य कारण पशु के पेट के कीड़ों का पशु के दिमाग में चढ़ जाने से होता है। जिसमे पशु अचानक कांपने लगता और चक्कर खा कर गिर जाता है। और बेहोश हो जाता है इस अवस्था में पशु के हाथ पैर अकड़ जाते है और मुहँ से झाग आने लगते है।

14 पशु को लू लगना ⇒

वैसे तो सभी पशु पलकों को पता होता है। की पशु में लू केसे लगती है फिर भी में यहाँ बता देता हु ताकि अगली पोस्ट में रोगों के उपचार केसे करे उसमे इसके उपाय बता सके यह रोग गर्मी के दिनों में तेज़ धूप और गर्म हवाओं के लगने से होता है इसमें पशु ज़ोर ज़ोर से हापने लगता है पशु में ज्वर रहता है पशु बहुत कम खाता पिता है।

15 पशु को ज़हरीले  जानवर काट जाने पर ⇒

कई बार पशु को जहरीले जानवर किट काट लेते है। जैसे बिच्छू ,ततेया ,मधुमक्खी आदि काट जाने पर पशु अचानक बेचैन हो जाता है। और उसे काटे गये स्थान पर जोरों से जलन होने लगती है। और सर्प के काटने पर पशु में शीतलता आ जाती है। पशु की आंखे पथरा जाती है पशु के शरीर का रंग काला नीला पड  जाता है। पशु के नाड़ी की गति कम हो जाती है। और पशु के मुँह से झाग निकलने लगते है।

16 मसाने में पथरी ⇒

यह रोग पशु में रूखे सूखे एवं भारी पर्दाथ और कम पानी और चुनायुक्त अधिक पानी पीने से होता है। इसमें पशु के गुर्दे ,मसाने में तेज़ दर्द होता है जिससे पशु बार बार उठता बैठता है। पशु बेचैन रहता है पशु में मूत्र रुक रुक कर बूंद बूंद आता है। मूत्र का रंग गहरा लाल रक्त मिश्रित रहता है।

17 कृमि ⇒

कृमि कई रूप रंग आकर छोटे मोटे हो सकते है।अंकुश कृमि ,फीता कृमि ,पिन कृमि ,गोल चपटे कृमि ,फुफ्फुस कर्मी आदि इनकी कई सारी प्रजाति होती है। इन कृमियों के कारण कई सारे रोग पैदा हो जाते है। कृमि पशु के पेट आंतो और फेफड़े आदि अंगों में रहते है। जो की गोबर और मूत्र  जरिये बाहर निकलते है। और संक्रमण फैलाते है। ये कृमि सभी तरह के पशुओं में होते है। जैसे गाय ,भैस ,बैल ,ऊट ,भेड़ बकरी ,घोड़ा ,सुअर ,कुत्ता ,बिल्ली ,मुर्गी में भी कई प्रकार से पाए जाते है। पशुओं के बच्चों में पेट के कीड़े की समस्या भी कृमि और बाहरी परजीवी के दुवारा होती है ।इन कृमियों के कारण कई सारे रोग पशु में लगते है। जैसे चर्म रोग ज्वर दस्त पेशीच उपज कब्ज आदि।

18 बवासीर ⇒

यह रोग जिगर और ज्यादा समय से पशु में कब्ज रहने से होता है। इस रोग की पहचान करने के लिए पशु यदि गोबर के साथ खून मिला हुआ आता है। तो पशु को बवासीर हो जाता है। इस रोग में पशु के मलद्वार पर मस्से हो जाते है।

19 जुकाम और सर्दी ⇒

यह रोग अधिक ठंडा पानी पी लेने से या फिर पशु का तेज़ गर्मी से अधिक ठंडी जगह पर आ जाने से होता है। कभी कभी पशु को ज्यादा गर्मी में ठंडे पानी से नहला देने से भी हो जाता है। इस रोग में पशु को बार बार छींक आती है नाक से पानी बहता है और नाक की झिल्ली लाल हो जाती है! ज्यादा सर्दी रहने पर  तेज़ बुखार भी आ जाता है।

20 पशु में  लकवा ⇒

इस रोग में पशु का कोई अंग हिस्सा काम करना बंद कर  देता है।यह रोग रीड की हड्डी में कीड़े पड़ने चोट लगने से हो जाता है इसके अलावा पशु कभी जहरीली घास खाने से भी हो सकता है।

21  केल्सियम और फास्फोरस की कमी से होने वाले रोग ⇨

कैल्शियम और फास्फोरस की कमी के कारण पशु में निम्न रोग लग जाते ह ।
पशु को भूख नही लगना
रीड की हड्डी में टेढ़ापन आ जाना
पशु के शरीर का ग्रोथ नही कर पाना
दूध में कमी आ जाना
पशु का गर्भ धारण नही कर पाना
फास्फोरस की कमी होने से पशु हड्डी और मॉस खाना स्टार्ट कर देता है।
मित्रों इन रोगों के अलावा भी पशु में कई सारे रोग होते है। जैसे
पाईरो प्लाज्म से होने वाले रोग ,काक्सीडिया से खूनी पेचिस होता है। ,प्रोटोजोआ से मलेरिया ,हेपाटोजुन ,आदि रोग लगते है।
दोस्तों इन मुख्य रोगों के अलावा भी पशुओं में कई सारे रोग होते है जिनकी समय समय पर पहचान कर के उचित इलाज़ पशुपालकों को करवाना चाहिए ताकि उनका पशु असमय ना मरे
मेरा इस पोस्ट के लिखने का उद्देश्य बस यही था। की किसान दोस्त इन पशु रोगों की पहचान कर समय पर पशु का उपचार करा ले ताकि पशु पालक को इस व्यवसाय में  हानि ना हो।
दोस्तों आप पशु पालन से जुड़ी और पोस्ट पड़ना चाहते हो तो menu में जा कर पशु पालन वाले टेग को सलेक्ट करे!
यदि आपको यहाँ दी गयी जानकरी अच्छी लगी हो तो नीचे कमेंट में जरुर लिखे साथ ही हमारा फेसबुक पेज लाइक करे
     ⇒ my kisan dost fb page ⇒
आप ये सभी जानकारियां फ्री में अपनी ईमेल पर पाने के लिए email subcraibe बॉक्स में जा कर अपनी email और नाम डाल कर sabcraibe करे फिर आपको एक मेल मिलेगा उसमे एक लिंक होगी उसको एक बार ओपन कर के conform करे!
इस पोस्ट को अपने दोस्तों में शेयर करने के लिए नीचे दिए गये बटन का उपयोग करे ⇓⇓⇓⇓⇓
Share the post

Yash Jat

1 thought on “Pashu Rog ki Jaankari पशु रोगों की पहचान Part 2”

  1. Krishna Shekhar says:
    July 22, 2020 at 7:43 am

    मेरी गाय को शुक्रवार से हल्की बुखार है मैने बहुत डॉक्टर को दिखाया पर कोई आराम नहीं है डॉक्टर इसे सरा रोग बता रहे है , इसको फिलहाल पाल भी दिया गया है इसलिए आपसे निवेदन है की इसका ठीक होने का उपाय बताए, कृष्णा शेखर चौखांडा चितौलि सासाराम रोहतास बिहार mob 9955419194

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Please follow & like us :)

Like & Follow Us
fb-share-icon
Follow Us on Twitter
Follow Me
Subscribe Channel
Follow on Instagram

Recent Posts

  •   सरसों की खेती की पूरी जानकारी Sarson Ki Kheti

      सरसों की खेती की पूरी जानकारी Sarson Ki Kheti

    March 3, 2021
  • Ashwagandha Farming अश्वगंधा की खेती की जानकारी 

    Ashwagandha Farming अश्वगंधा की खेती की जानकारी 

    February 27, 2021
  • Alsi Ki Kheti अलसी की खेती की जानकारी

    Alsi Ki Kheti अलसी की खेती की जानकारी

    February 4, 2021
  • लहसुन की खेती Lehsun Ki Kheti

    लहसुन की खेती Lehsun Ki Kheti

    February 1, 2021
  • Top Tractor Companies In India

    Top Tractor Companies In India

    September 3, 2020
  • Nimbu Ki Kheti नींबू की खेती की पूरी जानकारी

    Nimbu Ki Kheti नींबू की खेती की पूरी जानकारी

    August 11, 2020

Categories

  • Agri News
  • Agriculture Technology
  • Crops Information
  • Crops Protection
  • Farming Machinery
  • Farming Technology
  • Fruits Farming
  • Home Gardening
  • Jugaad Technology
  • khad or beej
  • Medicinal Farming
  • Organic Method
  • Other Crops
  • pashu palan
  • Tractors Info
  • Uncategorized
  • Vegetable Farming

Subscribe For Newsletter

Loading

About Us

Welcome to my Agriculture Blog My Kisan Dost!!!

कृषि और किसानों से जुड़ी सभी तरह की जानकारी हिंदी में! यदि आप खेती किसानी और पशु पालन से जुड़े हुए है या फिर खेती किसान से related कोई भी जानकारी जैसे- नई फसल,पशु रोग उपचार,खाद् बीज,बाग़वानी,जैविक खेती,औषधीय खेती,खेती की नई तकनीक और किसान खबर या इनसे से रिलेटेड कोई भी सवाल है तो आप हमसे सवाल पूछ सकते हैं।

इस Blog पर आप लोगो को हर उस विषय पर जानकरी दी जाएगी जो खेती से जुड़ी है ये कुछ विषय है जिनके बारे में में इस चैनल पर शेयर करता हूँ| * कृषि से जुड़ी खबरें * खेती में नई तकनीक * पशु पालन * बाग़वानी * फसल जानकारी

My Blog: https://www.mykisandost.com/ धन्यवाद् आपका मित्र यश जाट (My Kisan Dost)

Read More

Quick Links

  • Privacy Policy

Follow us

© 2020 MyKisanDost. All rights reserved.