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Nimbu Ki Kheti नींबू की खेती की पूरी जानकारी

Posted on August 11, 2020January 29, 2021 by Yash Jat

Table of Contents

Nimbu Ki Kheti नींबू की खेती की जानकारी –

नमस्कार किसान भाइयों आज इस पोस्ट में हम Nimbu ki kheti नींबू की खेती कैसे करें, नींबू की वैज्ञानिक तरीके से खेती कैसे करी जाती है, नींबू की फसल में कितनी इनकम होती है। भारत मे नींबू की खेती कहाँ कहाँ हो सकती है।

 

खेती की तैयारी से लगाकर नींबू में बीमारी और उत्पादन और कहाँ इसे बेंच सकते है। नींबू की खेती की संपूर्ण जानकारी हिंदी में देने वाले है साथ ही नींबू की खेती करने के तरीके पर वीडियो भी शेयर करेंगे जिस से किसान भाइयों को इसकी खेती करने में आसानी हो सके।

 

nimbu ki kheti ki jaankari

 

Nimbu ki kheti kahan kar sakte hai नींबू की खेती कहाँ कर सकते है :-

पूरे विश्व मे देखा जाये तो भारत लाइम ओर लेमन उत्पादन में 5वा स्थान रखता है। अतः नींबू के पौधों को पूरे भारत वर्ष में उगाया जा सकता है।साथ ही गमलों में बालकनी में घर की छत पर भी नींबू के पौधे लगाकर फल प्राप्त किया जा सकता है|

यदि हम व्यवसायिक तौर पर इसकी खेती करने वाले राज्यो को देखे तो पंजाब,राजस्थान,उत्तरप्रदेश के तराई क्षेत्र लेकिन अब इसकी खेती के प्रति जागरूकता बढ़ने के बाद, कई राज्यों में इसकी खेती सफलता पूर्वक हमारे किसान भाई कर रहे है,

जैसे मध्यप्रदेश बिहार तमिलनाडू कर्नाटक आंध्रा गुजरात और भी कई सारे राज्य के किसान नींबू की खेती कर रहे है।

Nimbu ki kheti नींबू की खेती के लिये उपयुक्त जलवायु और मिट्टी:-

नींबू की खेती के लिये जलवायु और मिट्टी – नींबू का फल कोमल होता है और जैसा कि मैने पहले बताया इसकी खेती पूरे देश मे हो सकती है लेकिन यदि आप व्यवसायक तौर पर इसकी खेती कर रहे है तो उन क्षेत्रों में इसे ना लगाये जहाँ पाला ज्यादा गिरता हो।तेज हवाएं चलति हो।जहाँ 750 मि.मि. से वर्षा ज्यादा ना होती है।वहा इसका उत्पादन अच्छा मिलता है।

देखा जाये तो जहाँ जलवायु सूखा हो बारिश कम हो वहाँ नींबू की खेती बेस्ट रहती है। और नींबू की फ़सल की अच्छी ग्रोथ के लिये 29 से 32 डीग्री तापमान सही रहता है। निम्बू की खेती सभी तरहा की मिट्टी में करी जा सकती है। लेकिन हल्की दोमट जल निकास वाली मिटटी इसके लिये अनुकुल रहती है।

जिसका ph मान 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिये। साथ ही इस बात का भी विशेष ध्यान दे जिस मिटटी के आप पौधे लगा रहे है वहा भूमि की तरह से 6 से 8 फिट गहराई  तक कोई पथरीली कठोर परत ना हो वरना पौधे की जड़ें अच्छे से विकसित ना होगी और पौधे तेज हवाओं में गिरिने की संभावना ज्यादा बनेगी।

नींबू की खेती में उन्न्त किस्में / नींबू कितने प्रकार के होते हैं:-

भारत मे नींबू की कई सारी किस्में प्रचलन में है में यहाँ उन्ही किस्मों के बारे में बताऊगा जिन्हें किसान व्यवसायिक रूप से उगा कर अच्छी पैदावार ले सकते है।

1 काग़जी नींबू –

इस प्रकार के नींबू का उपयोग घरो में ज्यादतर रस निकलने पिने ओर खाने में किया जाता है इसका छिलका हल्का होता है। नींबू का व्यास 2.5 से 5 सेमी तक होता है नींबू का रंग हरा ओर पकने के बाद पिला होता है पौधे की लंबाई 5 मीटर तक हो जाती है और काँटेदार पौधा होता है।रस खट्टा होता है। कागज़ी नींबू की खेती कैसे करें इस पर आप पूरी जानकारी के लिये आप इस लिंक से हमारा वीडियो देखें।

 

 

2 प्रमालिनी –

यह क़िस्म साधारण नींबू से 30% अधिक पैदावार देती है। इसके फल 3.7 के गुच्छों में होते है। इसके फल में 57% रस भरा होता है।

3 विक्रम–

इस क़िस्म के फल भी 3.7 के गुच्छों में लगते है।इस क़िस्म के फलों में 53% तक रस होता है। इसमें आप बेमौसमी फल को सितम्बर मई ओर जून में ले सकते है।

4 चक्रधर –

इसके फल बीज़ रहीत या बहुत कम बीज वाले होते है पौधा सीधा ऊपर की तरफ बढ़ता है और घना होता है।इसके फल गोल आकार में होते है फ़लो में 62% तक रस पाया जाता है। पौधों लगाने के चार साल बाद फल आने लगता है।इसके फल आप जनवरी फरवरी एवम जून जुलाई और सितंबर अक्टूबर में ले सकते है।

5 पी के एम 1 –

इस नींबू की क़िस्म में फल बड़े और गोल आकार के होते है फ़लो में रस 52 से 53%तक रहता है।ग्रीष्मकाल में अच्छे फल प्राप्त किये जा सकते है।

6 साई शरबती –

इस क़िस्म को अधिक्तर महाराष्ट्र के किसान ज्यादा लागते है इसके पौधे 3 से 4 सालो में फल देना शुरू कर देते है।इसका छिलका पतला होता है। फ़लो का आकर तिरछा और लंबाई लीये हुए होता है। प्रतिफल औसतन वजन 50ग्राम तक होता है।गर्मियों में जल्दी फल लगते है।

7 देसी नींबू –

नीबू का आकार छोटा रहता है पेड़ चौड़ाई में फैलते है मार्केट में अच्छी बिक्री होती है।इस क़िस्म की निम्बू की खेती कैसे करी जाती है देसी नींबू की खेती में कितना फ़ायदा होता है कितना उत्पादन होता है|

इसके बारे में पूरी जानकारी हमनें किसान के खेत पर जा कर वीडियो बनाया है ताकि किसान भाइयों को बेहतर जानकारी मिल सके इसलिए में यहाँ इसके वीडियो की लिंक शयेर कर रहा हूँ इस लिंक के जरिये आप देसी नींबू की खेती की पूरी जानकारी देख सकते है।

8 सीडलेस नींबू बीज रहित नींबू –

नीबू कि इस क़िस्म में बीज़ नही होते है लेकिन बरसात में कभी कभी कुछ फ़लो में एक दो बीज़ देखने को मिले है रस की मात्रा ज्यादा होती है फ़लो का आकार बड़ा होता है। लबे होते है इसका पौधा गमले में भी अच्छे फल देता है। कम उचाई का पौधा रहता है।

अन्य किस्मों से उत्पादन अधिक होता है। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिये आप वीडियो देख सकते है इस पर हमने पूरी जानकारी के साथ वीडियो बनाया है जिसकी लिंक यह है।

 

नींबू की नर्सरी कैसे तैयार करें –

nimbu ki nursery

नर्सरी तैयार करने के बजाय  किसी अच्छी नर्सरी से पौधे ख़रीद के लगाये जिस से  समय की बचत हो नर्सरी में आपको 10 रुपये से 25 रुपये तक आसानी से पौधे मिल जाते है

 जिस क़िस्म के नींबू लगाना चाहते है।उनके पूर्ण रूप से पके फ़लो को इक्कठा कर ले यहाँ आप दो तरीके अपना सकते है पके हुए फ़लो को बरसात के पानी से सड़ने दे और जहाँ नर्सरी में पौधे तैयार करे वहा मिट्टी में दबा दे या फिर उनके बीज़ निकाल कर अच्छी धूप में सुखा लें जहाँ आप नर्सरी तैयार कर रहे है वहाँ की मिट्टी उपजाऊ होनी चाहिए और उचाई पर होनी चाहिए।

जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ज़मीन की सतह से थोड़ी उठी हुई क्यारी बनाये मिट्टी में देसी गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट अच्छे से मिलाये   1 किलो बीज में 3 ग्राम थायरम या कैप्टान मिला कर उपचारित करें

दो कतारों के बीच 15 सेमी दूरी रखे और बीज से बीज के बीच 5 सेमी की दूरी पर 2 सेमि गहराई में बीज को लगाये नींबू की नर्सरी लगाने का सही समय जुलाई से अगस्त माह होता है।

गर्मियों में  4 से 5 दिनों में स्प्रे से हल्की सिचाई करते रहे और सर्दियों में 8 से 10 दिनों में सिंचाई करे

नर्सरी स्थान परिवर्तन

 जब पौधे एक साल के हो जाये तो उन्हें  नर्सरी से निकाल कर दूसरी नर्सरी में लगाना होता है इस समय जो पौधे कमजोर होते है पतले होते है उन्हें हटा दे और स्वस्थ पौधे दूसरी नर्सरी में लगाये

यह भी ध्यान रखे कि 15 से 20 सेमी पर जो पोधो में शाखाये है उन्हें काट दे दूसरी नर्सरी में पौधे लगाने से पहले मिटटी में उचित मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट का मिश्रण कर ले और पोधो से पोधो की दूरी 15 सेमि ओर कतार से कतार की दूरी 30 सेमी रखे।

पोधो में अच्छी वर्द्धि के लिये आप 10 लीटर पानी मे 50 ग्राम जिंक सल्फेट का स्प्रे भी कर सकते है। जब पौधे दूसरी नर्सरी में 2 साल से ऊपर 60सेमि लंबे हो जाये तो उन्हें आप खेत मे लगा सकते है।

नींबू कब लगाना चाहिए – नींबू की खेती करने का सही समय –

नीबू के पोधो को लगाने का सही समय बारिश में होता है खेतो में जून से अगस्त माह में इसकी बुआई करना चाहिये।सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था होने पर आप फ़रवरी में पौधे लगा सकते है।

नींबू के खेत की तैयारी कैसे करे- और पौधे कितनी दूरी पर लगाये-

यदि आप बरसात के समय मे पौधे लगा रहे  है और पहले से कोई फ़सल लगा रखी है तो आप 60×60×60 सेमी के गड्ढे बना ले उन गड्डों में आप सिंगल सुपर फॉस्फेट 500 ग्राम ओर वर्मी कंपोस्ट का उपयोग कर रहे है तो प्रति गड्ढा 2किलो या फिर गोबर की सड़ी हुई खाद 7 से 8 किलो डाले|

अब यहाँ आप एक और विशेष बात का ध्यान रखे नींबू की फसल की उम्र अन्य बागवानी फसलों की अपेक्षा ज्यादा होती है नींबू की खेती आप 35 वर्षो से भी ज़्यादा कर सकते है इसलिये इनकी कतार से कतार की दुरी 12 से 18 फिट रखे|

और यही पोधो के बीच की दूरी रखे क्यों कि इनके पौधे काफी बड़े और फैलाव में होते है। 18 बाय 18 फिट में पौधे लगाने से प्रति एकड़ 140 पौधों के लगभग लगते है।

 

नींबू की खेती के साथ मिश्रित फ़सले –

शुरुवाती 2 से 3 सालो में नींबू की फ़सल के साथ आप मिश्रित फसलों में मटर, लोबिया, गाजर और भी कई तरह की सब्जियां जिनकी उचाई कम रहे लगा सकते है।

नींबू की खेती में खाद उर्वरक प्रबधन-

खाद उर्वरक हमेशा मिटटी के उपजाऊ पन के ऊपर निर्भर करता है, तो किसान भाई अपनी मिटटी में मौजूद तत्वों को ध्यान में रख कर देवे| इसके अलावा नींबू की खेती के लिये, गोबर की पक्की हुईं खाद काफी अच्छी मानी जाती है| इसलिए प्रति पौधे पहले साल आप 5 किलो दूसरे साल 10 किलो इस तरह आप बड़ा कर दे सकते है|

खाद को देने से पूर्व दिन में 12 बजे पौधे की जितनी जगह में छाव है उतनी जगह में हल्की खुदाई कर के दे सकते है गोबर की खाद हमेशा नवम्बर दिसंबर माह में प्रति साल देना चाहिये।

इसके अलावा फल देने वाले पोधो को आप जिंक सल्फ़ेट 200 ग्राम प्रति पौधा और बोरान 100 ग्राम प्रति पौधा देना चाहिए उसके बाद सिंचाई करनी चाहिए।

इसके अलावा आप फ़लो में अधिक चमक के लिये गोबर की खाद के साथ मुर्गी की बिट भी मिला कर दे सकते है गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट न होने पर भेड़ बकरी की मिगनियो आदि भी उपयोग में ले सकते है।

Nimbu ki kheti में सिंचाई और खतपतवार नियंत्रण –

पहले साल पौधे लगाने के बाद गर्मी में सिचाई का बहुत मायने रखता है। पर्याप्त सिंचाई ना होने से पौधे सुख जाते है। गर्मियो के दिनों में 10 से 15 दिनों में मिटटी के प्रकार को समझ कर सिचाई करे।

और सर्दियों में 20 से 25 दिनों के अंतराल में सिचाई करना चहिये और सिचाई के दौरान किसान भाई नीबू के मुख्य तने पर पानी ना जाने दे। इसके लिये तने के आस पास मिट्टी चढ़ा ले ।

 

थाला पध्दति से सिंचाई उत्तम रहती है। इसके आलवा यदि गर्मी में जल का अभाव हो तो किसान भाई ड्रीप सिचाई का उपयोग करें। बाग में खतपतवार हटाने के लिये, कभी भी गहरी जुताई ना करे क्यों कि, नींबू के पोधो की जड़े ऊपर सतह पर फैली रहती है|

खतपतवार हटाने के लिये हल्की निदाई गुड़ाई लेबर की सहायता से कर सकते है ।इसके अलावा रासायनिक तरीके में ग्लाइफोसेट 1.6 लीटर को प्रति 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। स्प्रे के दौरान ध्यान रखे स्प्रे मुख्य फ़सल पर ना गिरे।

नींबू के पेड़ की कटाई और छटाई-

इसके पौधे में कटाई छटाई का कार्य पौधों को मजबूत बनाने और सही आकार देने के लिये किया जाता है। यदि पौधे से कोई शाखा सीधी ओर जल्दी जल्दी निकल रही हो उसे काट देना चाहिए साथ ही सुखी हुई टहनीयों को भी काट कर हटाना चाहिए। शुरुवात से ही पोधो को इस तरहा से कटाई छटाई करनी चाहिए ताकि पौधा सीधा ओर मजबूत खड़ा रह सके इसके लीये सतह से 90 सेमी तक कोई शाखा विकसित ना होने दे। ताकि बाद में खाद पानी देने में दिक्कत ना आये।

Nimbu ki kheti नींबू की खेती में रोग किट नियंत्रण –

नींबू की फ़सल में कई प्रकार के किट रोग लगते है लेकिन हम यहाँ मुख्य रोगो के बारे में बताएंगे जिनसे नींबू की फसल में अधिक हानि होती है।

1 नींबू का कैंकर रोग –

यह रोग जीवाणु दुवारा फैलता है। बरसात के दिनों में होने वाला मुख्य रोग है।इसके लक्षण पत्तो शाखाओं और फलों पर दिखाई देता है।यह रोग पहले पीले धब्बों के साथ शुरू होता है।बाद में उभरे हुए भूरे छालों में बदल जाता है। नयी पत्तियों में यह रोग पीछे की तरफ देखने को मिलता है।

इस रोग को नियंत्रण करने के लिये बरसात से पहले सुखी हुई टहनियों को काट कर अलग कर के जला देना चाहिये कटी हुई शाखाओं पर बोर्डों पेस्ट का लेप करना चाहिये जिस से बीमारी फैलने से रुकती है।

 

साथ ही 6 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन 24 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे। यह प्रक्रिया 15 दिनों के लिए अन्तराल पर 2 बार करें। इसके अलावा हर दो माह में ज़मीन की सतह से पौधे में एक फुट उचाई तक नीला थोथा अलसी का तेल और चुना मिलाकर लेप करना चाहिये जिससे फंगस ओर अन्य बीमारियों से बचाव होता है।

2 चूर्णिल आसिता रोग-

यह रोग शरद ऋतू में खासकर के होता है इस रोग के लक्षण में पत्तियो के उपरी सतह और डण्ठल ओर शाखाओ पर सफ़ेद चुर्ण की तरहा दिखाई देता है। कवक की वर्द्धि के कारण पौधे का विकास रुक जाता है। पत्तियां पीली पड़ कर मुड़ने लगती है। और रोग बढ़ने पर फ़ल पकने से पहले ही गिरिने लगते है।

इस रोग को रोकने का सबसे बेस्ट उपाय सुबह के समय 20 किलों ग्राम सल्फर प्रति हेक्टियेर की दर से पौधों पर छिड़काव करना चाहिये। इसके अलावा केलेक्सीन 0.2 -0.3 % का 15 दिनों के अंतर में छिड़काव करने पर अच्छा परिणाम मिलता है।

3 गमोसिस रोग-

इस रोग को गोंदाति रोग भी कहा जाता है । यह रोग अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में दिखाई देता है। यह रोग फाइटोफ्थोरा नामक कवक से होता है इसके लक्षण यह पौधों के टहनीयों तनो पर लगने वाला रोग होता है जिस जगह ये रोग होता है वहाँ से गोद जैसा प्रदार्थ निकलने लगता है।

जिस से टहनियां ओर छाल प्रभावित हो कर गिर जाती है फिर वही गोद  ज़मीन पर गिरने के बाद मिटटी में में मिल कर पौधे के तने ओर जड़ो को प्रभावित करता है।जिस से जड़ गलना स्टार्ट हो जाती है और पौधे सूखने लगते  है।

 

यह रोग अगर जड़ों में होतो शुरवात में पहचान करना मुश्किल होता है। इस रोग की रोकथाम के लिये बाग में जलभराव और नमी नही होनी चाहिए नियमित रूप से बाग से सफ़ाई करनी चाहिये लक्षण दिखाई देने पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का स्प्रे और ड्रिंचिंग दोनों करने चाहिए।

 

बोर्डों पेस्ट नियमित अंतराल पर करते रहना चाहिये। रिडोमिल गोल्ड 2.5 ग्राम प्रति लीटर स्प्रे या ड्रेचिग करना चाहिये जितने हिस्से में गोद निकल रहा हो उतने हिस्से को खुरच कर गोद साफ कर उस हिस्से में बोर्डों पेस्ट का पेंट करें ।

4 सफ़ेद मक्खी –

यह किट पत्तो के निचले हिस्सों में बैठकर रस चूसती है जिससे पत्तियो में पीलापन आता है प्रकाश  संशलेषन की क्रिया बंद हो जाती है। ओर पौधे का विकास रुक जाता है। इसके उपचार हेतु ट्राइजोफ़ास 40 ई सी 2 से 3 मिली / प्रति लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव करें। इसके उपरांत अगला स्प्रे डायमेथोएट प्रति एक लीटर में 2ml मिलकार स्प्रे करें।

5 आर्द्र गलन रोग-

यह रोग जब पौधे छोटे होते है या नर्सरी में लगे होते है उस समय ज्यादा देखने को मिलता है।इसमें पौधे ज़मीन की सतह पर ही गल कर नीचे गिरने लगते है। और मरने लगते है यह रोग ज्यादा नमी से होता है या फिर जल निकास की समुचित व्यवस्था ना होने पर होता है।

उपचार इस रोग को रोकने हेतु उचित कवकनाशको से मिट्टी को उपचारित करना चाहिये ट्राइकोडर्मा का उपयोग करना चाहिए इसके अलावा रासायनिक कवकनाशी कैप्टान 0.2 प्रतिशत प्रतिलीटर पानी को फाइटोलॉन 0.2 प्रतिशत या पेरिनॉक्स 0.5 प्रतिशत के साथ मिलाकर मिट्टी निर्जर्मीकरण एवं पौध नर्सरी में छिड़काव करना चाहिए.

यह भी पढ़ें–> स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे करे पूरी जानकारी हिंदी में

नींबू के पेड़ पर फल न लगने पर क्या करें

नींबू में फल ना लगना ये समस्या बिगीचों में या ज्यादा संख्या में जहाँ पेड़ लगे हो वहाँ पर नही आती है लेकिन कहि एक दो पेड़ हो या बालकनी छत पर गमलो में इस तरह की दिक्कतें देखी गयी है कि जो पौधा चार साल का हो गया फिर भी फल न लग रहे हो तो उसके जड़ों के आस पास की मिट्टी को हटा कर उसमें जो बाल की तरह बारीक जड़ें होती है उन्हें सावधानी पूर्वक हटा लेना चाहिए बिना मुख्य या बड़ी जड़ो को नुकसान पहुचाये।

 

फिर उन जड़ो के आसपास पक्की हुई गोबर या केंचुआ खाद डाल कर मिटटी से ढक लेना चाहिये 2 दिन तक सिचाई ना कर के उनकी जड़ों में छाछ बटर मिल्क से सिंचाई करना चाहिए 5 दिनों के अंतराल में ये प्रकिया 5 से 6 बार करना चाहिये और आवश्यकता अनुसार सिंचाई करनी चाहिये यदि पौधे गमले में हो तो बार बार ज्यादा सिंचाई ना करे।

कुछ समय बाद आपके पौधों में नींबू लगना शुरू हो जाएंगे और फूलों से फल बनने में दिक्कत आये तो पोधो पर शहद या शक्कर का गोल कर के हल्का छिड़काव करना चाहिए जिस से मधुमक्खी आकर्षित हो कर परागण का कार्य कर सके।

नींबू में फूल और फल झड़ने से कैसे रोके

नींबू के पेड़ पर फल और फूल काफी ज्यादा सँख्या में आते है पर वो सब फूल फल बनने से पहले या फल पकने से पहले ही गिर जाते है। इस प्रकार की समस्या के कई सारे कारण हो सकते है। खास कर पोषक तत्वों की कमी या असन्तुलित मात्रा कीट रोग का प्रकोप एवं असन्तुलित तरीके से सिचाईं।वातावरण में बदलाव के कारण हो सकता है।

 

इसके लिए किसान भाई फल फूल आने की अवस्था मे सिचाईं ना करे अति आवश्यक होने पर हल्की सिचाईं दे पोषक तत्वों को संतुलत मात्रा में – कैल्शियम, मैग्नीशियम, कॉपर, जस्ता तथा बोरोन उपयोग करे।

फल फूल अगर जड़ रहे है तो  फल बनने के एक माह बाद, आरियोपिफन्जिन 2, 4-डी + जिंक सल्पेफट के तीन स्प्रे एक एक माह के अंतराल पर फ़सल पर करें या फिर 1किलो चूने को 500 लीटर पानी मे गोल कर के पोधो पर छिड़काव करें ।

नींबू को कैसे हार्वेस्टिंग करें

इसकी सही से तुड़ाई हो सके इसके लिए पोधो को उचित दूरी पर लगाये जैसा की ऊपर बताया गया है।जिस से फ़लो को तोड़ने में समस्या ना आये उसके बाद जब फल पूरे पक जाये उसमे अच्छा रस भर जाए तो तुड़ाई करे पौधे अधिक उचाई होने पर बांस के डंडे पर लोहे की रॉड का हुक बना कर तुड़ाई कर सकते है यह किस तरहा का होता है। कैसे काम करता है आप इस वीडियो में देख सकते है में यहाँ लिंक शयेर कर रहा हु।

 

नींबू की खेती में फायदा

Nimbu ki kheti में कितना फायदा या मुनाफा किसान को हो सकता है। नींबू की फसल में मुनाफा आपके प्रबधन और रोग कीटो से बचाव वातावरण और बाज़ार कई सारे करणो से प्रभावित होता है। इसलिए यहाँ बताया गया आंकड़ा कम ज्यादा हो सकता है। यहाँ पर में जो भी लिख रहा हु जो किसान इसकी खेती काफी समय से कर रहे है उन किसानों से बातचीत के आधार पर शयेर कर रहा हूँ।

 

इसका पौधा 3 साल बाद फल देना शुरु कर देता है शुरवात में पौधा छोटा होता है तो फल कम आते है लेक़िन 5 सालो बाद प्रति पौधा 2500 से 3000 तक कि इनकम देने लगता है।फ़लो का (औसत भाव 20 रुपये से 140 रुपये तक )एक एकड़ में 140 पौधे लगाने पर 4 से 5 लाख प्रति एकड़ मिल जाता है|

 

अब इसके खर्च को देखे तो प्रति पौधा अधिकतम एक वर्ष में 200 रुपये खर्च होते है जो कि 28 से 30 हजार प्रति एकड़ ख़र्चा होता है। इसके अलावा नींबू की खेती में कितना फ़ायदा ओर उत्पादन प्रति वर्ष हो सकता है उसका पूरा वीडियो हमने किसान के खेत मे जा कर बनाया है तो आप उस वीडियो को जरूर देखें ताकि आपको सही से अनुमान लग सके|

 

नींबू को को कहा पर बेंचे

यह सभी घरों में परिवारों में उपयोग में आता है और भारत के सभी मंडियों में आसानी से उपलब्ध हो जाता है।इसकी मांग खासकर के गर्मियो में अधिक बढ़ जाती है। इसकी खेती शुरू करने से पहले किसान भाई अपनी आस पास की फ़ल मंडियों में मार्किट का अध्यन अवश्य कर ले।

और अधिक दूरी पर भेजने पर लगने वाले यातायात खर्च को देख कर बग़ीचे लगाये नींबू भारत की सभी बड़ी फल मंडियों में सब्जी मंडी में बिक जाता है।उदहारण के लिये देहली की आज़ादपुर मंडी , ओखला मंडी; राजस्थान में जयपुर; मध्यप्रदेश में उज्जैन इंदौर और भारत के लगभग सभी बड़े शहरों में इसकी बिक्री आसानी से हो जाती है।

 

यह भी पढ़ें–> शरीफा की खेती कैसे करें पूरी जानकारी हिंदी में

 

नींबू से बनने वाले उत्पाद

Nimbu ki kheti नींबू की खेती करने के साथ साथ यदि किसान भाई इस से बने प्रॉडक्ट में भी कार्य करे तो काफी अच्छा पैसा कमा सकते है यहाँ में कुछ  लेमन प्रोडक्ट बता रहा हु जो नींबू से बनाये जाते है। आप इस तरह की प्रोसैसिंग यूनिट लगा कर भी कमाई कर सकते है।

लेमन ज्यूस, लेमन हैंडवाश,फ्रेश स्टार्ट आयल क्लिनर,नींबू पानी,लिक्विड शोप,नीबू आचार, मुरब्बा,नीबू के बीज का तेल,ब्यूटी प्रोडक्ट, टॉयलेट क्लिनर,लेमन टी,बर्तन धोने का पावडर, फर्श साफ करने का लिक्विड और भी कई सारे प्रोडक्ट लेमन से बनाये जाते है।

दोस्तों इस पोस्ट में मैने कोशिस करी है कि में नींबू की खेति से जुड़ीं सभी जानकारी आप तक शयेर कर सकूं अगर इसके अलावा और कोई जानकारी छूट गयी है तो कृपया कमेंट में जरूर लिखें और आपके सवाल भी सादर आमंत्रिक है। जरूर पूछें

आज की यह पोस्ट आपको पसंद आई हो तो नीचे शोशल मीडिया लिंक दिए है अन्य किसान भइयो तक शयेर जरूर करे।और ऐसे ही जानकारी मिलती रहे उसके लिये सब्सक्राइब जरूर करे।

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Yash Jat

4 thoughts on “Nimbu Ki Kheti नींबू की खेती की पूरी जानकारी”

  1. Nathu lal Dangi says:
    August 12, 2020 at 8:08 pm

    बहुत अच्छी जानकारी है मेरे भी एक हेक्टर में 280 प्लांट है मैं कैंकर रोग से बहुत परेशान हूं

    Reply
  2. Banshi lal vyas says:
    August 16, 2020 at 9:29 pm

    Good knowledge we prepair plan with your help

    Reply
  3. Anu says:
    August 26, 2020 at 2:52 am

    Nice information 😜 ☺️👍

    Reply
  4. Sandhya says:
    August 27, 2020 at 2:00 pm

    मै पौधे खरिदना चाहती हूँ कैसे और क्या दामसे मिलेंगे

    Reply

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