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Gehu ki Kheti – गेहूँ की खेती कैसे करें?

Posted on September 29, 2016January 28, 2021 by Yash Jat

Table of Contents

Gehu ki Kheti गेहूँ की खेती कैसे करें – पूरी जानकारी

नमस्कार दोस्तों अभी लगभग सभी किसान भाई अपने खेतों में से सोयाबीन की कटाई कर नई फसल के लिये खेत की जुताई की तैयारी में लगे हुए है कुछ भाई ने लहसुन भी बो दिया है और कुछ अन्य फसल जैसे सरसों मेथी अस्कोगोल गेहू आदि फसल बोयेंगे जो दोस्त गेहूँ की फसल बोने वाले है  उनके लिए आज की पोस्ट बड़े काम की है क्यों की आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे की (Gehu ki kheti) गेहू की खेती कैसे करे और कोन सी किस्में लगाने से कितना फ़ायदा होगा साथ ही हम गेहूँ के भंडारण के  बारे में और फसल में लगने वाले खादों के बारे में भी जानेंगे इसलिए आखिरी तक पूरी जानकरी ज़रुर पढ़े !

Gehu ki kheti

भूमि का चुनाव/तैयारी

गेहूँ की खेती करते  समय भूमि का चुनाव अच्छे से कर लेना चाहिए । गेहूँ की खेती में अच्छे फसल के उत्पादन के लिए मटियार दोमट भूमि को सबसे सर्वोत्तम माना जाता है । लेकिन पौधों को अगर सही मात्रा में खाद दी जाए और सही समय पर उसकी सिंचाई की जाये तो किसी भी हल्की भूमि पर गेहूँ की खेती कर के अच्छे फसल की प्राप्ति की जा सकती है । खेती से पहले मिट्टी की अच्छे से जुताई कर के उसे भुरभुरा बना लेना चाहिए फिर उस मिट्टी पर ट्रैक्टर चला कर उसे समतल कर देना चाहिए

जलवायु:-

गेहूँ के खेती में बुआई के वक्त कम तापमान और फसल पकते समय शुष्क और गर्म वातावरण की जरूरत होती हैं। इसलिए गेहूँ की खेती gehu ki kheti ज्यादातर अक्टूबर या नवम्बर के महीनों में की जाती हैं।

बुआई:-

गेहूँ की खेती में बीज बुआई का सही समय 15 नवम्बर से 30 नवम्बर तक होता है । अगर बुआई 25 दिसम्बर के बाद की जाये तो प्रतिदिन लगभग 90kg प्रति हेक्टेयर के दर से उपज में कमी आ जाती है । बीज बुआई करते समय कतार से कतार की दूरी 20cm होनी चाहिए ।

बीजोपचार:-

गेहूँ की खेती में बीज की बुआई से पहले बीज की अंकुरण क्षमता की जांच ज़रूर से कर लेनी चाहिए अगर गेहूँ की बीज उपचारित नहीं है तो बुआई से पहले बीज को किसी फफूंदी नाशक दवा से उपचारित कर लेना चाहिए ।
उन्नत किस्में:- शरबती : पुष्प मंगल ; सुजाता ; लोक वन; 1544; जे .डब्ल्यू 47 ; मोहन मंडल ; 322 ; 1661 ; 1644 आदि

गेहूँ की नवीन उन्नत किस्मे 

1. जे.डब्लू.-1106:-

यह मध्यम अवधि (115 दिन) वाली किस्म हैं जिसके पौधे सीधे मध्यम ऊँचाई के होते हैं बीज का आकार सिंचित अवस्था में बड़ा व आकर्षक होता हैं शरबती तथा अधिक प्रोटीन युक्त किस्म है जिसकी औसत  उपज 40 – 50 क्विंटल  प्रति हेक्टेयर है।

2. अमृता (एच.आई. 1500):-

यह शरबती श्रेणी की नवीनतम सूखा निरोधक किस्म है।  इसका पौधा अर्द्ध सीधा तथा ऊँचाई 120 – 135 से. मी. होती है। दाने मध्यम गोल, सुनहरे (अम्बर) रंग एवं चमकदार होते है। इसके 1000 दानों का वजन 45 – 48 ग्राम और बाल आने का समय 85 दिन है। फसल पकने की अवधि 125 – 130 दिन तथा आदर्श परिस्थितियों में 30 – 35 क्विंटल  प्रति हेक्टेयर उपज देती है।

3. स्वर्णा (एच.आई.-1479):-

समय से बोने  हेतु मध्य प्रदेश की उर्वरा भूमियों के लिए शीघ्र पकने वाली गेरूआ निरोधक किस्म है। गेहूँ का दाना लम्बा, बोल्ड, आकर्षक, शरबती जैसा चमकदार व स्वादिष्ट होता है। इसके 1000 दानो का वजन 45 – 48 ग्राम होता है। फसल अवधि 110 दिन हे। इस किस्म से 2 – 3 सिंचाइयों से अच्छी उपज ली जा सकती है। गेहूँ की लोक-1 किस्म के विकल्प के रूप में इसकी खेती की जा सकती है।

4. हर्षित (एचआई-1531):-

यह सूखा पाला अवरोधी मध्यम बोनी (75 – 90 से. मी. ऊँचाई) शरबती किस्म है। इसके दाने सुडौल, चमकदार, शरबती एवं रोटी के लिए उत्तम है जिसे सुजाता किस्म के विकल्प के रूप में उगाया जा सकता है। फसल अवधि 115 दिन है तथा 1 – 2 सिंचाई में 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक उपज देती है।

5. मालव शक्ति (एचआई – 8498):-

यह कम ऊँचाई वाली (85 से.मी) बोनी कठिया (ड्यूरम) किस्म है। यह नम्बर – दिसम्बर तक बोने हेतु उपयुक्त किस्म है। इसका दाना अत्यंत आकर्षक, बड़ा, चमकदार, प्रोटीन व विटामिन ए की मात्रा अधिक, अत्यंत स्वादिष्ट होता है। बेकरी पदार्थ, नूडल्स, सिवैयाँ, रवा आदि बनाने के लिए उपयुक्त है। बाजार भाव अधिक मिलता है तथा गेहूँ निर्यात के लिए उत्तम किस्म है। इसकी बोनी नवम्बर से लेकर दिसम्बर के द्वितीय सप्ताह तक की जा सकती है। इसकी फसल लोक-1 से पहले तैयार हो जाती है। इससे अच्छी उपज लेने के लिए 4 – 5 पानी आवश्यक है।

6 . मालवश्री (एचआई – 8381):-

यह कठिया गेहूँ की श्रेणी में श्रेष्ठ किस्म है। इसके पौधे बौने (85 – 90 से.मी. ऊँचाई), बालियों के बालों का रंग काला होता है। यह किस्म 4 – 5 सिंचाई मे बेहतर उत्पादन देती है। इसके 1000 दानों का वजन 50 – 55 ग्राम एवं उपज क्षमता 50 – 60 क्विंटल  प्रति हेक्टेयर है।

7 राज-3077;- 

गेहूँ की ऐसी नयी किस्म है, जिसमें अन्य प्रजातियों की अपेक्षा 12 प्रतिशत अधिक प्रोटीन पाया जाता है। इसे अम्लीय एवं क्षारीय दोनों प्रकार की मिट्टियों में बोया जा सकता है।

 

Gehu ki kheti खाद प्रबंधन:-

गेहूँ की खेती में समय पर बुआई करने के लिए 120kg नाइट्रोजन(nitrogen), 60kg स्फुर(sfur) और 40kg पोटाश(potash) देने की आवश्यकता पड़ती है । 120kg नाइट्रोजन के लिए हमें कम से कम 261kg यूरिया प्रति हेक्टेयर का इस्तेमाल करना चाहिए । 60kg स्फुर के लिए लगभग 375kg single super phoshphate(SSP) और 40kg पोटाश देने के लिए कम से कम 68kg म्यूरेटा पोटाश का इस्तेमाल करना चाहिए ।

 

सिंचाई प्रबंधन :-

अच्छी फसल की प्राप्ति के लिए समय पर सिंचाई करना बहुत जरूरी होता है । फसल में गाभा के समय और दानो में दूध भरने के समय सिंचाई करनी चाहिए । ठंड के मौसम में अगर वर्षा हो जाये तो सिंचाई कम भी कर सकते है । कृषि वैज्ञानिको के मुताबिक जब तेज हवा चलने लगे तब सिंचाई को कुछ समय तक रोक देना चाहिए । कृषि वैज्ञानिको का ये भी कहना है की खेत में 12 घंटे से ज्यादा देर तक पानी जमा नहीं रहने देना चाहिए ।

गेहूँ की खेती में पहली सिंचाई बुआई के लगभग 25 दिन बाद करनी चाहिए । दूसरी सिंचाई लगभग 60 दिन बाद और तीसरी सिंचाई लगभग 80 दिन बाद करनी चाहिए ।

खरपतवार:-

गेहूँ की खेती में खरपरवार के कारण उपज में 10 से 40 प्रतिशत कमी आ जाती है । इसलिए इसका नियंत्रण बहुत ही जरूरी होता है । बीज बुआई के 30 से 35 दिन बाद तक खरपतवार को साफ़ करते रहना चाहिए । गेहूँ की खेती में दो तरह के खरपतवार होते है पहला सकड़ी पत्ते वाला खरपतवार जो की गेहूँ के पौधे की तरह हीं दिखता है और दूसरा चौड़ी पत्ते वाला खरपतवार ।
इसके नियंत्रण हेतु 2 -4 डी का छिड़काव करे।

खड़ी फसल की देखभाल;-

कृषि वैज्ञानिको का कहना है की गेहूँ का गिरना यानी फसल के उत्पादन में कमी आना । इसलिए किसानों को खड़ी फसल का खास ख्याल रखना चाहिए और हमेशा सही समय पर फफूंदी नाशक दवा का इस्तेमाल करते रहना चाहिए और खरपतवार का नियंत्रण करते रहना चाहिए ।

 रबी की फसल में लगने वाले रोगों का उपचार कैसे करे यहाँ पढ़े 

फसल की कटनी और भंडाराण:-

गेहूँ का फसल लगभग 125 से 130 दिनों में पक कर तैयार हो जाता है। फसल पकने के बाद सुबह सुबह फसल की कटनी करना चाहिए फिर उसका थ्रेसिंग करना चाहिए । थ्रेसिंग के बाद उसको सुखा लें । जब बीज पर 10 से 12 % नमी हो तभी इसका भंडारण करनी चाहिए ।

गेंहू का देसी तरीके से भण्डारण कैसे करे यहाँ click  कर पढ़े 

post write by;-
विष्णु नागर

मित्रों यह पोस्ट हमारे प्रिय मित्र विष्णु जी नागर ने लिखी है आपको यह जानकरी केसी लगी हमें कमेंट के जरिये ज़रुर बताये  और आपके पास भी कोई किसानों के काम की जानकरी हो तो हमें ज़रुर लिखे हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ माई किसान दोस्त पर प्रकाशित करेंगे !

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Yash Jat

3 thoughts on “Gehu ki Kheti – गेहूँ की खेती कैसे करें?”

  1. Ravindra Soni says:
    May 18, 2017 at 7:45 am

    5ecar m kitna gehu hota hai

    Reply
  2. my kisan dost says:
    May 18, 2017 at 7:47 am

    Sir upar post me kismo ke anusar utpadan likha hai

    Reply
  3. Unknown says:
    October 27, 2017 at 3:21 pm

    सर् मैं जानना चाहता हूँ कि संजीवनी 34 गेहूँ सरबती की किस्म है? या कोई और किस्म का गेहूँ बीज है धन्यवाद

    Reply

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