हेल्लो दोस्तों नमस्कार! My Kisan Dost (खेती और किसानों से रिलेटेड जानकारी हिंदी में ) आपका स्वागत है। मित्रों मुझे थोड़े दिनों पहले मुझे my kisan dost के regular पाठक का मेल आया। उसने मुझसे सीताफल की खेती यानि शरीफा sharifa ki kheti जिसे English में Custard Apple भी कहते है। उसकी जानकारी माँगी उसने जब google पर सीताफल की खेती कैसे करे सर्च किया तो सारे आर्टिकल English में मिले तो उसने मुझे हिंदी में पोस्ट लिखने के लिए कहा तो आज की पोस्ट में हम
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Sharifa ki kheti सीताफल / शरीफा / Custard apple की खेती कैसे करे, के बारे में जानेंगे।
ताकि सभी किसान दोस्तों को इसका फ़ायदा मिल सके।
यह भारत के सभी प्रान्तों में पाया जाता है। विशेष रूप से महाराष्ट्र मध्यप्रदेश आंध्र प्रदेश में ज्यादा देखे जा सकते हैं।यह आमतौर पर ढालू जमीन जैसे पहाड़ नदी के किनारे आदि जगह पर देखा जा सकता हैं। यह एक मात्र ऐसा फ़लदार पेड़ होता हैं जिस पर किसी भी प्रकार के रोग नही लगता हैं।
शरीफा के लिए जलवायु:-
सीताफल के पौधे के लिए वैसे तो कोई विशेष जलवायु की आवश्यकता नही होती हैं। फिर भी अच्छे उत्पादन के लिए शुष्क और गर्म जलवायु अच्छी रहती है।ज्यादा ठंड और पाला पड़ने से इसके फल सख़्त हो जाते हैं।और वो पक नही पाते है। वर्षा ऋतु यानी जून जुलाई में फूल और सितम्बर से नोवेम्बर में फल लगने और पकने start हो जाते है । उस समय तापमान 40 डिग्री से ज्यादा नही होना चाहिए।
भूमि का चुनाव:-
सीताफल के पौधों में अच्छे विकास के लिये हलकी दोमट रेतीली मिट्टी,पथरीली,जमीन और ढालू जमीन जहां पर पानी का निकास पूर्ण हो best रहती है।इसके लिए मिट्टी का p.h.मान 5.5 से 7 तक अच्छा रहता है। लेकिन इसे 7-9 p.h मान वाली भूमि पर भी उत्पादन लिया जा सकता है।
Custard Apple सीताफल की मुख्य किस्में:-
सीताफल में बहुत सारी किस्में होती है। में यहाँ जो ज्यादा उपयोग की जाती है। उन किस्मों के बारे में बताउगा।
1 सरस्वती 7 -महाराष्ट्र लगभग फल 50 से 85 प्रति पौधा
2 red custurd- लगभग फलो की संख्या 40 से 50
3 मेमाथ- लगभग फलो की संख्या 50 से 80 फल
4 bitish gawaina-लगभग फलो की 40 से 75
5 ए.ऐम के1-
6 अन्नोना2-
7 चांदसिली-
इनके अलावा- वाशिंगटन pi 107,005 और वालानगर,सीडलिंग आदि हैं।
स्वस्थ फल का वजन 100 ग्राम से लगाकर 150 किलो ग्राम तक हो सकता है ।
पौधे की रोपाई:-
Sitafal की खेती के लिए पौधे को दो तरीके से की जा सकती हैं।
1 नर्सरी में पौधा तैयार कर के
2 बारिश में कलम द्वारा
शरीफा के पौधे को बरसात में लगाना सबसे अच्छा रहता है । इसलिए बरसात पूर्व 4×4 मीटर की दूरी पर 60×60 सेमी. चौड़े और 80 सेमी. गहरे खड्डे खोदे। खड्डो से निकली हुई मिट्टी में 30 प्रतिशत अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद् और प्रति खड्डा 100 ग्राम डी ए पी मिला कर एक दो अच्छी बरसात हो जाने के बाद पौधों को खड्डो में रोपाई कर दे और ऊपर से हाथों से तने की आसपास की मिट्टी को दबा दे नर्सरी में तैयार अच्छी किस्म के पौधे की कीमत 70 से 100 रूप ये तक होती है।एक हेक्टेयर में अनुमानित 450 पौधे तक लग सकते है।
सिंचाई कैसे करे:-
अगर पौधे लगाने के बाद बरसात आती रहे हो सिंचाई के कोई आवश्यकता नही होती है। लेकिन बारिश ना आने पर अगर पौधे मुरझाये हुए हो तो एक बार सिंचाई कर दे और गर्मी के दिनों में एक week में सिंचाई करे और सर्दी के दिनों में महीने भर में एक बार सिंचाई कर सकते है। फल लगते समय एक सिंचाई ज़रुर करे ताकि व्रद्धि दर बड सके
खाद् और पौधों की देखभाल:-
सीताफल के पौधों को खाद् उर्वरक की बहुत कम आवश्यकता होती हैं। लेकिन अच्छी पैदावार के लिए आप सड़ी हुई गोबर की खाद् और नाइट्रोजन,पोटाश,आदि दे सकते है।प्रति वर्ष फल तोड़ने के बाद पेड़ पर लगी सुखी टहनिया और अधिक बड़ी हुई शाखा को काट के अलग कर देना चाहिए।
–फ़सलों में खाद् की कमी को कैसे पहचाने इस लिंक को ओपन करे–
रोग और किट:-
इस पर किसी भी प्रकार के रोग नही आते है।लेकिन कभी कभी पत्तियों को नुकसान पहुँचने वाले किट और बग़ आ जाये तो दवाई का स्प्रे कर उन्हें ख़तम कर दे और मौसम में परिवर्तन या अन्य कारणों से यदि फूल जड़ने लगे तो भी आप दवाई का उपयोग कर सकते है।
फलो की तुड़ाई :-
एक स्वस्थ सीताफल के पेड़ से औसत 80-100 फल मिल जाते है। फल जब पेड़ पर कठोर हो जाये तब उसे तोड़ लेना चाहिए ज्यादा दिनों तक पेड़ पर फल रहने से वो सख़्त हो कर फट जाता है। सामान्य रूप से पेड़ से फलो को तोड़ने के 6-9 दिनों में पक जाते है। लेकिन इन्हें कृत्रिम रूप से भी पकाया जा सकता है।पेड़ पर पके हुए फल की पहचान आप फल पर काले भूरा रंग के धब्बों जिन्हें ग्रामीण बोली में आँख दिखना कहते है। कर सकते है। पके हुए फलो की बाज़ार में कीमत लगभग 150 किलो तक रहती है।
सीताफल का प्रसंस्करण:-
सीताफल के फल से एक मशीन के द्वारा गुददे और बीज को अलग निकला जाता है। उस निकले हुए गुददे से कड़वाहट ना आयें और सुरक्षित रखने के लिए इस मशीन का उपयोग किया जाता है। एस मशीन से गुद्दे को एक साल तक सुरक्षित रख कर बाज़ार मे अच्छे भाव पर बेच सकते है। इस गूदे का उपयोग आइसक्रीम,रबड़ी और पेय पदार्थ बनाने में किया जाता है। इस मशीन का विकास राष्ट्रीय कृषि नवोन्मेषी परिय परियोजना(NAIP) योजना के तहत किया गया है।इसकी अधिक जानकारी के लिए राजस्थान के मित्र कृषि महाविद्यालय MPUAT उदयपुर में बाग़वानी विभाग से सम्पर्क करे।
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Email-ID – rmd.herbles@gmail.com
इस जी सीताफल की जानकारी देने के लिए धन्यवाद
इस जी सीताफल की जानकारी देने के लिए धन्यवाद
आपकी पोस्ट बहुत अच्छी लगी। और मुझे इस पोस्ट से बहुत मिली
Sir mujhe apko ye Jankari bahut acchi lag. Mai Ranchi ka rahne wala hu mujhe ye bataye ki iska paudha kaha milega mujhe