नमस्कार किसान भाइयों
आपने थोड़े समय पहले पेपर और टीवी पर ये news तो सुनी ही होगी की गिर गाय के मूत्र में सोने के कण मिले ले। जिसका रिसर्च जुनागड़ एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के विज्ञानिकों ने गिर नस्ल की 400 गायो के मूत्र परीक्षण के बाद पाया की 1 लीटर मूत्र में 3 मिली ग्राम से ले कर 10 मिली ग्राम तक सोने के कण पाए गये है। इसकी पुष्टि विज्ञानिकों ने करी है।
गाय का दूध अमृत के समान होता है। जो कई तरह के शारीरिक रोगों से लड़ने में मदद करता है। जिसका महत्व प्राचीन समय से ही वेदों और ग्रंथों में लिखा गया है।
हिन्दू धर्म में गाय को पूजनीय और पवित्र माना जाता है।
भारतीय गाय Indian cow:-
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भारतीय नस्ल की गाय |
भारत में गायो की 30 प्रकार की नस्ले पायी जाती है आवश्यकता और उपयोगिता के आधार पर इन्हें 3 भागों में विभाजित किया गया है।
1 अच्छा दूध देने वाली लेकिन उसकी संतान खेती के कार्यो में अनुपयोगी
दुग्धप्रधान एकांगी नस्ल
2 दूध कम देती है लेकिन उसकी संतान कृषि कार्य के लिए उपयोगी
वत्सप्रधान एकांगी नस्ल
3 अच्छा दूध देने वाली और संतान खेती के कार्य में उपयोगी
सर्वांगी नस्ल
नोट संतान खेती में उपयोगिता से आशय उनके बछड़े बेल बनने के बाद गाड़ी खींचना जुताई हल चलाना आदि से है
भारतीय गायो की प्रजातिया :-
सायवाल जाती
यह प्रजाति भारत में कही भी रह सकती है। ये दुग्ध उत्पादन में अच्छी होती है।इस जाती के गाये लाल रंग की होती है। शरीर लम्बा टांगे छोटी होती है। छोड़ा माथा छोटे सिंग और गर्दन के नीचे त्वचा लोर होता है। इसके थन जुलते हुए ढीले रहते है।इसका औसत वजन 400 किलोग्राम तक रहता है। ये ब्याने के बाद 10 माह तक दूध देती है। दूध का औसत प्रतिदिन 10 से 16 लीटर होता है। ये पंजाब में मांटगुमरी, रावी नदी के आसपास और लोधरान, गंजिवार, लायलपुर, आदि जगह पर पायी जाती है।
रेड सिंधी
इसका मुख्य स्थान पाकिस्तान का सिंध प्रान्त माना जाता है। इसका रंग लाल बादामी होता है। आकर में साहिवाल से मिलती जुलती होती है। इसके सिंग जड़ों के पास से काफी मोटे होते है पहले बाहर की और निकले हुए अंत में ऊपर की और उठे हुए होते है।शरीर की तुलना में इसके कुबड बड़े आकर के होते है। इसमें रोगों से लड़ने की अदभुत क्षमता होती है इसका वजन औसतन 350 किलोग्राम तक होता है। ब्याने के 300 दिनों के भीतर ये 200 लीटर दूध देती है।
गिर जाती की गाय
इसका मूल स्थान गुजरात के काठियावाड का गिर क्षेत्र है।इसके शरीर का रंग पूरा लाल या सफेद या लाल सफेद काला सफेद हो सकता है।इसके कान छोड़े और सिंग पीछे की और मुड़े हुए होते है। औसत वजन 400 किलोग्राम दूध उत्पादन 1700 से 2000 किलोग्राम तक हो माना गया है।
थारपारकर
इसकी उत्पत्ति पाकिस्तान के सिंध के दक्षिण पश्चिम का अर्ध मरुस्थल थार में माना जाता है।इसका रंग खाकी भूरा या सफेद होता है। इसका मुँह लम्बा और सींगों के बीच में छोड़ा होता है। इसका औसत वजन 400 किलोग्राम का होता है।इसकी खुराक कम होती है औसत दुग्ध उत्पादन 1400 से 1500 किलोग्राम होता है।
काँकरेज
गुजरात के कच्छ से अहमदाबाद और रधनपुरा तक का प्रदेश इनका मूल स्थान है।ये सर्वांगी वर्ग की गाये होती है। इनकी विदेशों में भी काफी मांग रहती है।इनका रंग कला भूरा लोहिया होता है।इसकी चाल अटपटी होती है इसका दुग्ध उत्पादन 1300 से 2000 किलोग्राम तक रहता है।
मालवी
ये गाये दुधारू नही होती है इनका रंग खाकी सफ़ेद और गर्दन पर हल्का कला रंग होता है। ये ग्वालियर के आसपास पायी जाती है।
नागोरी
ये राजस्थान के जोधपुर इनका प्राप्ति स्थान है। ये ज्यादा दुधारू नही होती है लेकिन ब्याने के बाद कुछ दिन दूध देती है।
पवार
इस जाती की गाय को गुस्सा जल्दी आ जाता है। ये पीलीभीत पूरनपुर
खीरी मूल स्थान है। इसके सिंग सीधे और लम्बे होते है और पुंछ भी लम्बी होती है इसका दुग्ध उत्पादन भी कम होता है।
हरियाणा
इसका मूल स्थान हरियाणा के करनाल, गुडगाव, दिल्ली है।ये ऊंचे कद और गठीले बदन की होती है। इनका रंग सफेद मोतिया हल्का भूरा होता है
इन से जो बेल बनते है वो खेती के कार्य और बोज धोने के लिए उपयुक्त होते है। इसका औसत दुग्ध उत्पादन 1140 से 3000 किलोग्राम तक होता है।
भंगनाडी
ये नाड़ी नदी के आसपास पाई जाती है। इसका मुख्य भोजन ज्वार पसंद है। इसको नाड़ी घास और उसकी रोटी बना कर खिलाई जाती है। ये दूध अच्छा देती है।
दज्जाल
ये पंजाब के डेरागाजीखा जिले में पायी जाती है उसका दूध भी कम रहता है।
देवनी
ये आंध्र प्रदेश के उत्तर दक्षिणी भागों में पायी जाती है ये दूध अच्छा देती है और इसके बेल भी खेती के लिए अच्छे होते है।
निमाड़ी
नर्मदा घाटी के प्राप्ति स्थान है। ये अच्छी दूध देने वाली होती है।
राठ
ये अलवर राजस्थान की गाये है ये खाती कम है और दूध भी अच्छा देती है।
अन्य प्रजाति की गाये
गावलाव
अगॊल या निलोर
अम्रत महल -वस्तप्रधान गाय
हल्लीकर - वस्तप्रधान गाये
बरगुर - वस्तप्रधान गाये
बालमबादी -वस्त प्रधान गाये
कगायम - दूध देने वाली गाये
क्रष्णवल्ली - दूध देने वाली गाय
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3 comments
Write commentsSir meta name manoj Kumar Lodha hai me ak dairy farm kolna cahta hu muje acci nasl ki cow kha se milegi me guna dist.ka nivasi hu.
ReplyAap hamari post acchi nasl k pashu kaha se kharide pade
ReplySIR HARIYANA KE BHAINS MELE KI TAREEKH BATAYN
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