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Silage Kaise Banaye हरे चारे से पशुओं के लिए साइलेज कैसे बनाये?
हेल्लो दोस्तों, आज खेती के साथ साथ पशुपालन भी एक फायदे वाला व्यवसाय किसानों के लिए बन गया है।
पशुपालन के बहुत सारे फायदे किसानों को मिलते है, जैसे – सभी तरह की खाद बनाने के लिए गोबर, गौमूत्र और दूध आदि हमें पशुओं से मिलता है। पशुपालन सभी किसान करना चाहते है, लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी समस्या पशुओं के लिए पर्याप्त चारे, भूसे और पशु आहार की आती है। तो आज सीखेंगे की पशुपालक साइलेज कैसे बनाये silage kaise banye, ताकि साल भर पशुओं को पौष्टिक आहार मिलता रहे।
साइलेज क्या होता है :-
साइलेज किन किन फसलो का बनाया जा सकता है:-
साइलेज बनाने के लिए हरे चारे का उपयोग होता है, जिसके लिए हरे चारे वाली फसलें जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा, मीठी सूडान घास आदि फसलों का बेस्ट साइलेज बनाया जा सकता है।
इसके अलावा बरसीम, रजका, लोबिया आदि का भी बना सकते हैं पर इसमें पानी की मात्रा अधिक होने के कारण अच्छा साइलेज नहीं बन पाता फिर भी कुछ उपाय करके इनसे भी बनाया जाता है।
साइलेज बनाने की विधि क्या है:-
साइलेज बनाने के लिए सबसे पहले पशुओं की संख्या, चारे की मात्रा और गढ्डे के स्थान तय करके बनाना चाहिए। फिर हरे चारे जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा आदि को कुटटी करने वाले यन्त्र से बारीक टुकड़ें करने चाहिए जिससे हरा चारा जल्दी सूख जाए। उसे इतना सुखायें कि भंडारण करने पर उसमे फफूंद पैदा न हो।
आमतौर पर साइलेज बनाने के लिए चारे मे शुष्क पदार्थ मे नमी 30% से 40% तक रखनी चाहिए। साइलेज बनाने वाले घुलनशील मे खमीर बनाने की क्रिया होते समय अम्ल P.H 4.2 काफी मात्रा मे रहे और वो चारे को ख़राब होने से बचाये। मक्का आदि से साइलेज बनाते वक़्त 500 ग्राम यूरिया यदि प्रति क्विंटल मे मिलाया जाए तो साइलेज मे प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है।
साइलेज के लिए गड्डा किस तरह का होना चाहिए :-
साइलेज बनाने के लिए गड्डे के चुनाव के लिए ऊपर उठी हुई जगह और ढलान वाली जगह उपयुक्त रहती है। ४५ क्विंटल हरे चारे से साइलेज बनाने के लिए लम्बाई 10 फ़ीट, चौड़ाई 5 फ़ीट और गहराई 6 फ़ीट रखनी चाहिए।
45 क्विंटल हरे चारे को 2 मजदूर 3-4 दिन मे भर सकते हैं। उस साइलेज को दुधारू पशुओं को 15 से 20 किलोग्राम खिलाने पर ये 2 से 3 महीने तक चल जाता है। गड्डे की दीवारे बिलकुल सीधी और समतल और कोने गोल होने चाहिए। कच्चे बने हुए गड्डे मे सतह पर प्लास्टिक का पाल डाल कर दीवारों पर भी अच्छे से पाल डाल दें ताकि गड्डे मे हवा और पानी न घुस पाए। फिर गड्डे मे थोड़ा चारा डालें और उसे पैरों से अच्छे से दबाएं ताकि उसमे हवा न रह पाए।
यदि उसमे यूरिया डाल रहें हो तो यूरिया को घोल बनाकर उस पर एक सामान छिड़काव करते जाए। फिर इसी तरह से पूरा गड्डा भरें। गड्डा जमीन से 2 या 3 फ़ीट तक ऊपर उठायें, फिर उसे प्लास्टिक के पाल से सब तरफ से अच्छे से ढांक दें और किनारों को मिटटी से दबा दें ताकि पानी और हवा उसके अंदर न जा सके। साइलेज लगभग 2 महीनों मे पूरी तरह तैयार हो जाता है।
साइलेज बनाने के बाद की सावधानियाँ:-
- अच्छी तरह से बना हुआ साइलेज का रंग हल्का भूरा और गोल्डन होता है।
- अच्छे साइलेज मे एक विशेष प्रकार की खुशबु आती है।
- साइलेज पशुओं को पचाने मे और खाने मे आसानी होती है।
- गड्डे का मुँह खोलने के बाद साइलेज को लगातार पशुओं को खिलाना चाहिए।
- फफूंद लगा हुआ साइलेज पशुओं को नहीं खिलाना चाहिए।
- अच्छे साइलेज मे कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की मात्रा होती है जो दूध का उत्पादन बढ़ती है।
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kon si kheti jada labh kari hoti hai
गीर गाय कहा मिलेगी.
पाटण जिला सातारा
Aap hamari dusri post pade acchi nasl ke pashu kaha se kharide wali