Zamin me pani dudhne ke liye dawsing vidhi
नमस्कार दोस्तों पिछली पोस्ट में मैंने बोरवेल ट्यूबवेल लगाने के लिए जमीन में पानी कैसे खोजें पर एक पोस्ट लिखी थी।
जमीन में पानी कैसे खोजे पोस्ट पड़ने के लिए क्लीक करे ↙ सभी पोस्ट में सबसे ज्यादा उसी को देखा गया। और most popular पोस्ट रही।
उस पोस्ट में मैने पानी देखने की जिन जिन विधियों के बारे में बताया था वो थी।
1 dawsing विधि( डाउजिंग)जिसमे पेड़ पोधों से पता करते है। लेकिन सारी विधिया की केवल छोटे रूप में बताई थी।
2 नारियल विधि
3 जोतिष्य विधि
4 वनस्पति विधि
यह विधि सबसे ज्यादा प्रयोग में की जाती है। और भारत ही नही अपितु सभी देशों में इसका प्रयोग किया जाता है।
पिछले सप्ताह मैंने खुद इसका प्रयोग करवाया। इस साल खेत में लहसुन ज्यादा बौने के कारण लास्ट में सिंचाई के लिए पानी की जरूरत पड़ी। मैंने अपने खेतो में dawsing करवाने के लिए hydrologists राकेश जी को बुलाया । वो अपने साथ एक पेटी लाये उसमे एक मीटर और 4 रोड कुछ तार और 2 तांबे की छड़ लाये।
ये डाउजिंग क्या होती है ?
यह एक प्रकार की प्राचीन कला है। जिसका प्रयोग चिकित्सा के क्षेत्र में,मकान बनाने में, भूमि के गुण दोष पता करने में, गड़े हुए धन का पता लगाने में,भूमिगत जल का पता लगाने में ,जमीन के अन्दर की ऊर्जा का पता लगाने और मन के रहस्य जानने के लिए किया जाता है।जमीन के अन्दर पानी देखने के लिए किस तरीके से इसका प्रयोग करते है ?
भूमिगत जल का पता लगाने के लिए सबसे पहले हमें तांबे की रोड जो की अँग्रेजी के Lआकर की होती है। उन्हें अपने दोनों हाथो में ले कर खेत पर सब तरफ घूमेंगे। जहा पर भी ये दोनों छड़ आपस में क्रास होगी उस जगह को चिन्हित करेगेये छड़ क्रास कैसे और क्यों होती है ?
जमीन के गुरुत्वाकर्षण होता है। जिससे वो ऊपर फेकी जाने वाली चीज़ो को अपनी और खींच लेती है। इसके अलावा भी कई प्रकार की ऊर्जा और तंरगे जमीन के अन्दर ये छड़ उन तरंगों से प्रभावित हो कर हलचल में आ जाती है।कैसे पता चलता है। यहाँ पानी की सम्भावना है ?
जहाँ ये छड़ ज्यादा प्रभावी ढंग से काम करती है वहां जमीन के अंदर पानी की लेक होती है।क्या इस तरीके से में और दूसरे व्यक्ति भी पानी का पता लगा सकते है ?
हाँ क्यों नही लेकिन उसके लिए निरन्तर अभ्यास और समय लगता है। लगातार अभ्यास करने से इसका अनुभव हो जायेगा।फिर वो तांबे की 2 छड़ को अपने हाथों में लेकर खेत के सभी तरफ घूमे कई जगह पर छडो में हलचल हुई जहाँ जहाँ हलचल हुई उस जगह को मार्क किया ये सब करने में लगभग 40 से 50 मिनट का समय लगा उसके बाद राकेश जी ने अपनी अटेची से एक मीटर निकाल कर उसके अंदर 2 केबल (तार) से जोड़ा उस तार के दूसरे हिस्से पर लोहे की छड़ें लगी हुई थी उन्हें लगभग 30 से 40 फिट दूर ले जा कर जमीन के अन्दर गाड़ दिया । फिर उस मीटर को ओन किया । मीटर चालू करने के बाद उस मीटर पर लगे बटन को वो घुमाने लगे उस मीटर की डिस्प्ले पर कुछ नंबर आने लगे उसे वो एक पेपर पर नोट करते रहे ।
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वाटर डिडेक्टर |
आपको यहाँ डायग्राम बना के बताउगा ।
ये सब कार्य करने के बाद उन्होंने मुझे 700 से 800 फिट के बीच में 2 से 3 इंच पानी होने के लिए बताया ।फिर मैने उनसे पूछा
क्या इस विधि से 100%पानी मिल पाता है
उनका जबाब था 90%सफलता मिलती है कई बार बोरवेल खाली भी चले जाते है।
फिर मैंने पूछा खली किस कारण से चले जाते है।
लगातार जल स्तर का घटना
कई और उसी लेक पर बोरवेल का लग जाना
गलत अनुमान लग जाना
आदि कई कारणों से पानी नही आता है।
यह सर्वे करवाने के बाद मैंने एक सप्ताह बाद बोरवेल लगवाई मुझे 2.5 इंच पानी आया लेकिन 868 पर मिला।
इसके अलावा मैंने नारियल और सगुनियो के प्रयोग भी करवा के फिर बोरवेल लगवाया था। क्यों की सिर्फ dwasing या किसी एक विधि का प्रयोग कर के पैसे की बर्बादी नही कर सकते है। इसलिए आप भी जितनी भी पानी ढूंढने की विधिया हो उनका प्रयोग कर के ही बोरवेल नलकूप लगवाये।
अगली पोस्ट में आपको वनस्पति(पेड़ पोधों,बेल) जिन को सगुनिये पानी देखने में प्रयोग करते है उस के बारे में विस्तार से बताउगा।
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2 comments
Write commentsHello i am Anuj Godara..
ReplyAAp bahut accha likhte hai or batate hai..
Thanks for sharing........
Thanks anju g hosla badane ke ke liye
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